श्री ब्रह्मपुर एक पवित्रतम तीर्थ है जो कभी गंगा के पावन तट पर बसा हुआ था । आजकल गंगा की धारा वहाँ से दूर चली गयी है, किन्तु पूर्व में जहाँ गंगा बहती थी वहाँ आज भी देखने से प्रतीत होता है । भारत का प्राचीन इतिहास महर्षि वाल्मीकि कृत श्रीरामायण में शिवक्षेत्र की चर्चा की गयी है । भगवान् श्रीराम एवं लक्ष्मण जब महर्षि विश्वामित्र के साथ श्रीसिद्धाश्रम (बक्सर) को जा रहे थे उस समय सरयू को पार करते वक़्त गंगा में सरयू को विलीन होते हुए देखा था । श्री गंगाजी के पावन तट पर ऋषि मुनियों द्वारा सेवित दिव्य शिवक्षेत्र को देखते हुए भगवान् सिद्धाश्रम को पधारे थे । यह वही स्थल है जहाँ स्वयंभू ब्रह्मेश्वर शिवलिंग का दर्शन हो रहा है । ब्रह्मेश्वर शिव मंदिर का गर्भगृह इतना बड़ा है कि बहुत कम जगहों पे इतना बड़ा गर्भगृह दृष्टिगोचर होता है । गर्भगृह पश्चिमाभिमुख है । मंदिर में प्रवेश करते ही आध्यात्मिक ऊर्जा का भान किसी को भी हो सकता है । भगवान् ब्रह्मेश्वर के नाम पर इस स्थल का नाम ब्रह्मपुर है जो बिहार के बक्सर जनपद के अंतर्गत आता है, जनपद मुख्यालय से ३२ किलोमीटर पूर्व की ओर । यहाँ पर फाल्गुन महाशिवरात्रि को विशालतम पशुमेला लगता है । मंदिर से सटे विशाल सरोवर है । उस स्थान का मुख्य बाजार मन्दिर पर निर्भर करता है ।
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